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दिल्ली चिड़ियाघर में सफेद बाघ विजय ने दम तोड़ दिया। बाघ की उम्र 15 वर्ष थी और वह कई दिनों से बीमार चल रहा था। चिड़ियाघर के एक अधिकारी के मुताबिक, विजय बाघ का जन्म दिल्ली चिड़ियाघर में ही हुआ था। इसके बाद से वह यही बीट नंबर पांच में रह रहा था। 

अधिकारी का कहना है कि आमतौर पर बाघ की उम्र 12 से 14 वर्ष की होती है। विजय की देखभाल ठीक होने की वजह से वह 15 वर्ष तक जी सका। हालांकि, बीते कुछ दिनों से वह बीमार चल रहा था। इस वजह से उसे बाड़े में नहीं छोड़ा जा रहा था। विजय बाघ के स्थान पर पर्यटक रॉयल बंगाल टाइगर करण का दीदार कर रहे थे। वर्तमान में दिल्ली चिड़ियाघर में अब चार सफेद बाघ बचे हैं। इनमें सीता, टीपू, जूनियर विजय और रानी शामिल है। रॉयल बंगाल टाइगर की श्रेणी में सिद्धि, अदिति, बरखा और करण है।

2014 में बाड़े में घुसे मकसूद को शिकार बनाया था
विजय बाघ चिड़ियाघर के आकर्षण का केंद्र था। यही वजह थी कि चिड़ियाघर पहुंचने वाला प्रत्येक पर्यटक उसे देखना चाहता था। दरअसल, साल 2014 में मकसूद नाम का व्यक्ति विजय के बाड़े में गिर गया था, जिसे उसने अपना शिकार बना लिया था। यह घटना पूरे देश भर में चर्चित हुई थी और चिड़ियाघर प्रशासन की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया था। इसके बाद से प्रत्येक मांसाहारी वन्यजीव के बाड़े के बाहर गार्ड की तैनाती करने के साथ-साथ, रस्सी और सीढ़ी का बंदोबस्त किया गया था।

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दिल्ली चिड़ियाघर में सफेद बाघ विजय ने दम तोड़ दिया। बाघ की उम्र 15 वर्ष थी और वह कई दिनों से बीमार चल रहा था। चिड़ियाघर के एक अधिकारी के मुताबिक, विजय बाघ का जन्म दिल्ली चिड़ियाघर में ही हुआ था। इसके बाद से वह यही बीट नंबर पांच में रह रहा था। 

अधिकारी का कहना है कि आमतौर पर बाघ की उम्र 12 से 14 वर्ष की होती है। विजय की देखभाल ठीक होने की वजह से वह 15 वर्ष तक जी सका। हालांकि, बीते कुछ दिनों से वह बीमार चल रहा था। इस वजह से उसे बाड़े में नहीं छोड़ा जा रहा था। विजय बाघ के स्थान पर पर्यटक रॉयल बंगाल टाइगर करण का दीदार कर रहे थे। वर्तमान में दिल्ली चिड़ियाघर में अब चार सफेद बाघ बचे हैं। इनमें सीता, टीपू, जूनियर विजय और रानी शामिल है। रॉयल बंगाल टाइगर की श्रेणी में सिद्धि, अदिति, बरखा और करण है।

2014 में बाड़े में घुसे मकसूद को शिकार बनाया था

विजय बाघ चिड़ियाघर के आकर्षण का केंद्र था। यही वजह थी कि चिड़ियाघर पहुंचने वाला प्रत्येक पर्यटक उसे देखना चाहता था। दरअसल, साल 2014 में मकसूद नाम का व्यक्ति विजय के बाड़े में गिर गया था, जिसे उसने अपना शिकार बना लिया था। यह घटना पूरे देश भर में चर्चित हुई थी और चिड़ियाघर प्रशासन की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया था। इसके बाद से प्रत्येक मांसाहारी वन्यजीव के बाड़े के बाहर गार्ड की तैनाती करने के साथ-साथ, रस्सी और सीढ़ी का बंदोबस्त किया गया था।

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